पत्नी भक्त



"लघु कथा "- **पत्नी भक्त**

शांतिगंज मोहल्ले में मदन और मुरारी दो दोस्त थे ।दोनो दो धुर्व के व्यक्तित्व थे फिर भी दोनो में दोस्ती क्यों थी समझ से परे था। जहां मदन सीधा साधा मृदुभाषी, संस्कारी और शाकाहारी आदमी था वही मुरारी शराबी ,जुआरी , मुंहफट और झगड़ालू आदमी थी ।बिना मांस मदिरा के वो खाना ही नही खाता था। मुहल्ले में कोई ऐसा घर नही बचा था जिससे उसका झगड़ा नहीं हुआ हो ।लोग उससे बड़ी नफरत करते थे और उससे दूरी बनाकर रहते थे।उसका मोहल्ले में रहना किसी को पसंद नही था।
मदन की पत्नी रुक्मिणी बड़ी धार्मिक प्रवृत्ति की औरत थी।उसके दोनो बच्चे भी बड़े आज्ञाकारी और शालीन थे।दोनो अभी पांचवी और छठी कक्षा में पढ़ रहे थे।जबकि मुरारी की पत्नी बैजन्ती धार्मिक तो नही थी लेकिन नास्तिक भी नही थी ।वो एक साधारण औरत को तरह थी लेकिन बड़ी मिलनसार और मददगार प्रवृति की थी ।इसलिए मोहल्ले में लोग उसे बडा मानते थे।उसके चलते ही लोग उसके पति की बुराइयों को भुला देते थे।
मदन शहर के चौक पर खाने पीने का शाकाहारी होटल चलाता था जहा ग्राहकों की बड़ी भीड़ लगी रहती थी।होटल से मदन को सब खर्चा काट के लगभग एक लाख रुपए की आमदनी हो जाती थी।
जबकि मुरारी एक गेस्ट हाउस चलाता था।वहा ठहरने वाले सभी यात्रियों का खाना मदन के होटल से ही जाता था।यात्री कभी कभी उसके होटल में ही आकर खाना खा लेते थे।उसका खाना शाकाहारी होने के बावजूद भी बड़े स्वादिष्ट होते थे। इसलिये उसके यहां ग्राहकों की काफी भीड़ भाड़ रहती थी। यही कारण था दोनो की दोस्ती का।दोनो साथ ही अपने काम पर आते जाते थे। शाम को दोनो साथ ही अपने मोहल्ले के पार्क में बैठते थे और साथ साथ बगल की दुकान की फेमस चाय पीते थे।
इसके अलावा दोनो में कोई मेल नहीं था।मदन घर आने के बाद और अपने होटल जाने से पहले घर का सारा काम खुद करता था।उसकी पत्नी लाख मना करती थी मगर वो उसे कोई काम करने नहीं देता था। झाडू पोंछा करना,बर्तन धोना और चाय नाश्ता सब बनाकर बच्चो को नहा धुलाकर स्कूल जाने के लिए खुद तैयार करता था।पत्नी को चाय पिलाकर बोलता अब तुम जाओ नहा धोकर पूजा पाठ कर के नाश्ता के लिए सब लोग साथ में नाश्ता करेंगे।
उसकी पत्नी जानती थी इनसे कुछ भी कहो ये मानेंगे नही । मजबूरन वो चाय पीकर तुरंत नहा धोकर पूजा पाठ आरती कर सारे घर में दिखाकर घर के मंदिर में प्रणाम कर सबको प्रसाद देती थी ।उसके बाद सब लोग साथ साथ नाश्ता करते ।इसके बाद मदन अपने बच्चो को अपनी बाइक से स्कूल छोड़कर घर आ जाता । उसकी पत्नी जहा एक तरफ ऐसा पति पाकर खुद को भाग्यशाली समझती थी वही उसे दुख भी होता था की उसके रहते उसका पति घर का सारा काम खुद ही करता है कही उसे पाप तो नही लगेगा ।उसे बड़ा बुरा भी लगता था।लेकिन पति के जिद के आगे वो मजबूर हो जाती थी।
मदन अपनी पत्नी को घर की लक्ष्मी समझता था।उसके घर में आते ही उसका होटल खुला था ।इतनी भीड़ भाड़ वाले शहर के मुख्य चौक पर बड़े सौभाग्य से उसे वो बिल्डिंग किराए पर मिली थी ।उसका होटल जबसे खुला था बस चल पड़ा था।उसने धीरे धीरे सारा कर्जा चुका दिया था। गांव में अपने माता पिता और परिवार को प्रतिमाह पच्चीस हजार रूपए भी भेज देता था।
रुक्मिणी के मुंह से जो भी निकल जाता था मदन उसे हाजिर कर देता था ।वो उसकी हर इक्षा को पूरी करने की कोशिश करता था।इसलिए रुक्मिणी कुछ भी मांगने से पहले सोचती थी।वैसे भी महीने में साड़ी और गहना कुछ न कुछ गिफ्ट वो अपनी पत्नी को बिना मांगे ही देता रहता था।रुक्मिणी की दो अलमारियां साड़ियो ,कपड़ो और गहनों से से खचाखच भरी रहती थी।मदन की सारी दुनिया ही उसकी पत्नी और बच्चे थे।
उसकी पत्नी घर में हमेशा कोई न कोई पूजा पाठ कराते रहती थी।उसके बच्चे भी अपने पिता को बहुत मानते थे। भगवान को हमेशा मानती रहती थी ताकि उसका पति सदा सलामत रहे और वो भी सदा सुहागन रहे।
मोहल्ले में लोग मदन को जोरू का गुलाम और पत्नी भक्त कहते थे लेकिन उसे कोई फर्क नही पड़ता था।
जबकि मुरारी बात बात पर अपनी पत्नी को मारता पीटता रहता था। घर में गाली गलौज हो हंगामा रोज की बात थी।कोई बीच में रोकता टोकता था तो उसे काट खाने को दौड़ता था।बच्चे हमेशा डरे सहमे रहते थे।पत्नी बच्चे उससे बड़ी नफरत करते थे।
पत्नी बीमार रहे तब भी मुरारी उससे घर का सारा काम करवाता ।कोई गलती हो जाय तो लातो जूतो से पीटता था।बच्चे अगर मां को बचाने आते तो वो उनकी भी पिटाई कर देता था।
एक दिन मुरारी शराब पीकर घर में आया और खाना देने को कहा ।लेकिन उसकी पत्नी की तबियत खराब थी ।उसने कहा मुझसे उठा नही जा रहा है आप आप आज खुद ही रसोई से लेकर खा लीजिए ।इतना सुनते ही मुरारी आपे से बाहर हो गया और अपनी पत्नी को बुरी तरह पीटने लगा।उसकी पत्नी चीखने चिल्लाने लगी।बच्चे भी अपनी मां की पिटाई देख कर रोने चिल्लाने लगे।पूरा मोहल्ला जमा हो गया ।मगन भी भागा भागा आया। वहा का हाल देखकर उससे बर्दास्त नही हुआ । उसने मुरारी को बहुत रोकने की कोशिश किया मगर वो पीटता ही रहा।मदन ने उसे जोर से धक्का दिया वो दूर जा गिरा उसके सिर पर चोट लगी ।वो गुस्से से मदन को गाली देने लगा ।तुमने मुझपर हाथ उठाया है दोस्त होकर मैं तुम्हारे होटल में ग्राहक भेजना बंद कर दूंगा ।
लेकिन मदन ने कहा मुझे तुम्हारे जैसे राक्षस आदमी से न दोस्ती रखनी है और न कोई धंधा करना है। इतना कहकर उसने पुलिस को फोन कर दिया ।उसने उसकी पत्नी से कहा भाभी जी अब आप बिल्कुल इससे मत डरना आप पुलिस को सब सच सच बता देना ।पुलिस के आने की खबर सुनकर मुरारी भागने लगा लेकिन नशा ज्यादा होने की के कारण वो ठोकर खा कर मुंह के बल गिर पडा।उसका एक पैर और हाथ टूट गया।माथे में भी चोट लगी।तभी पुलिस वहा आ गई उसे उसी हाल में पकड़ कर हॉस्पिटल ले गई।उसकी पत्नी ने पुलिस को उसके सारे अत्याचारों के बारे में बता दिया।बच्चो ने भी गवाही दे दिया । मोहल्ले वालों ने भी उसकी पत्नी का साथ दिया।पत्नी और बच्चो के साथ घरेलू हिंसा के आरोप में मुरारी को जेल हो गई।मदन ने उसके पति के होटल को कोर्ट से ऑर्डर कराकर चलाने की इजाजत दिला दिया। अब मुरारी की पत्नी और बच्चे सुख और शांति से रहने लगे।
मदन को बैंक से ऋण मिल गया उसने अपने होटल के ऊपर गेस्ट हाउस बनवा दिया ।अब उसके पास ग्राहकों की कमी नही थी ।उसने अपने गेस्ट हाउस का नाम रुक्मिणी अतिथि गृह रखा था। कुछ दिनो के बाद उसका दोस्त मुरारी जेल से छूट कर आया।मदन उसे खुद लेने गया था।उसने रास्ते में उसे सब समझाया औरत और बच्चो पर हाथ उठाना मारदांगिनी नही है।बहादुरी तो तब है जब तुम्हारे लिए खुद तुम्हारी औरत भगवान सेदुआ करे।तुम्हे दिल से प्यार करे।तुम कर सब कुछ न्यौछावर कर दे।
पत्नी लक्ष्मी और बच्चे भगवान का रूप होते है।अगर इनको खुश रखोगे तो भगवान स्वयं प्रसन्न होंगे।
मुरारी रोने लगा।और आइंदा मदन के बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।

लेखक_ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड

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1 Comments

Mohammed urooj khan

11-Nov-2023 11:25 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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